आदत हो गई थी उससे बतियाने की, लेकिन क्या सिर्फ़ मां ने खोया? आदत हो गई थी उससे बतियाने की, लेकिन क्या सिर्फ़ मां ने खोया?
बंधन में कसमसाते एक जान की आजादी की अभिलाषा है यह कविता। उम्मीद, उड़ान, इच्छा शक्ति की परिचायक है यह ... बंधन में कसमसाते एक जान की आजादी की अभिलाषा है यह कविता। उम्मीद, उड़ान, इच्छा शक्...
तुम कितनी सुलझी हुई हो ना, जैसे की कोई रेशम का धागा, कितना भी करो हमेशा सुलझा। तुम कितनी सुलझी हुई हो ना, जैसे की कोई रेशम का धागा, कितना भी करो हमेशा सुलझा।
तुम्हारी छत्रछाया में रहकर, पुरुष भी आगे बढ़ता है। तुम्हारी छत्रछाया में रहकर, पुरुष भी आगे बढ़ता है।
मिलकर चलो ख़ुशियाँ फैलाएँगे प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे! मिलकर चलो ख़ुशियाँ फैलाएँगे प्रीत की डोरी से जग को बाँधेंगे!
देख-देख तेरी अठखेलियाँ मैं मन ही मन हर्षाऊँ, लग जाये न मेरी ही नजर सोच-सोच डर जाऊँ । देख-देख तेरी अठखेलियाँ मैं मन ही मन हर्षाऊँ, लग जाये न मेरी ही नजर सोच-सोच डर...